Monday, September 3, 2012

कुछ लोग सियासत करते हैं कुछ लोग बगावत करते हैं 
कुछ ऐसे भी हैं लोग यहाँ पर जो सिर्फ शिकायत करते हैं 
रोटी की तरह इन्साफ भी अब बहुतों की पहुँच से बाहर है 
कुव्वत वाले लोग ही केवल कचहरी अदालत करते हैं 
चुपचाप रहो चुपचाप सहो जो भी हुक्म हो आकाओं का 
काँधे से हट जाते हैं सर जो उठने की हिमाकत करते हैं 
वही लुटेरे बदल के चेहरे फिर फिर आकर जम जाते हैं 
बिना वजह हर पाँच साल में हम बड़ी कवायद करते हैं 

No comments:

Post a Comment