उसको रंजिश अभी शायद मुझसे बाकी है
जब भी मिलता है बड़े तपाक से मिलता है
शिकायतें शर्तें बहाने शर्म और मजबूरियाँ
हमसे वो हमेशा भीड़ के साथ मिलता है
काँटो के सिवा कुछ नहीं देने को जिन्हें
अक्सर उनका चेहरा गुलाब से मिलता है
दूर रहकर बड़ी चोट करनी मुश्किल है
उससे होशियार जो आके गले मिलता है
कटोरे मे कुछ नहीं तिजोरी मे और और
न जाने यहाँ किस हिसाब से मिलता है
जब भी मिलता है बड़े तपाक से मिलता है
शिकायतें शर्तें बहाने शर्म और मजबूरियाँ
हमसे वो हमेशा भीड़ के साथ मिलता है
काँटो के सिवा कुछ नहीं देने को जिन्हें
अक्सर उनका चेहरा गुलाब से मिलता है
दूर रहकर बड़ी चोट करनी मुश्किल है
उससे होशियार जो आके गले मिलता है
कटोरे मे कुछ नहीं तिजोरी मे और और
न जाने यहाँ किस हिसाब से मिलता है