Friday, July 20, 2012

उसको रंजिश अभी शायद मुझसे बाकी है

जब भी मिलता है बड़े तपाक से मिलता है

शिकायतें शर्तें बहाने शर्म और मजबूरियाँ

हमसे वो हमेशा भीड़ के साथ मिलता है

काँटो के सिवा कुछ नहीं देने को जिन्हें

अक्सर उनका चेहरा गुलाब से मिलता है

दूर रहकर बड़ी चोट करनी मुश्किल है

उससे होशियार जो आके गले मिलता है

कटोरे मे कुछ नहीं तिजोरी मे और और

न जाने यहाँ किस हिसाब से मिलता है

11 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति :
    दूर रह कर भी चोट कर जाते है
    गले मिल कर मल्हम लगाते हैं !

    ReplyDelete
  2. बेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिला जाता
    प्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता,,,,,,

    बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

    ReplyDelete
  3. बढिया प्रस्‍तुति !!

    ReplyDelete