| निपटेंगे दुश्मनों से खुद किसी तरह |
| दोस्तों से खुदा मेरे बचाना हमें तुम |
| दिल अगर हो भी तो शीशे का न हो |
| अबके इस तरह से बनाना हमें तुम |
| आंधियों एक चिराग हूँ बस आखिरी |
| खुद अपने हाथों से जलाना हमें तुम |
| खबर करेंगे जब जख्म पुराने भरेंगे |
| दोस्तों आके फ़िर से सताना हमें तुम |
खबर करेंगे जब जख्म पुराने भरेंगे
ReplyDeleteदोस्तों आके फ़िर से सताना हमें तुम
अच्छी कविता .....
वाह क्या बात है बहुत खूब.
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