Tuesday, August 30, 2011

निपटेंगे दुश्मनों से खुद किसी तरह 
दोस्तों से खुदा मेरे बचाना हमें तुम 
दिल अगर हो भी तो शीशे का न हो
अबके इस तरह से बनाना हमें तुम 
आंधियों एक चिराग हूँ बस आखिरी  
खुद अपने हाथों से जलाना हमें तुम 
खबर करेंगे जब जख्म पुराने भरेंगे 
दोस्तों आके फ़िर से सताना हमें तुम

2 comments:

  1. खबर करेंगे जब जख्म पुराने भरेंगे
    दोस्तों आके फ़िर से सताना हमें तुम
    अच्छी कविता .....

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  2. वाह क्या बात है बहुत खूब.

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