Monday, August 20, 2012

दैरो हरम और बाज़ार में भला क्या फर्क है

कुछ दिया जाता रहा कुछ लिया जाता रहा

हिन्दू औ मुसलमां बनके इंसान नहीं रहा

तोड़ी मस्जिद और कभी मंदिर जलाता रहा

गुजरते वक्त के साथ खिलौने बदलते रहे

आदमी ताउम्र केवल दिल को बहलाता रहा

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