दैरो हरम और बाज़ार में भला क्या फर्क है
कुछ दिया जाता रहा कुछ लिया जाता रहा
हिन्दू औ मुसलमां बनके इंसान नहीं रहा
तोड़ी मस्जिद और कभी मंदिर जलाता रहा
गुजरते वक्त के साथ खिलौने बदलते रहे
आदमी ताउम्र केवल दिल को बहलाता रहा
कुछ दिया जाता रहा कुछ लिया जाता रहा
हिन्दू औ मुसलमां बनके इंसान नहीं रहा
तोड़ी मस्जिद और कभी मंदिर जलाता रहा
गुजरते वक्त के साथ खिलौने बदलते रहे
आदमी ताउम्र केवल दिल को बहलाता रहा
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