टिकी हो जिनकी रोज़ी रोटी मसलों पर |
मसाइल रोज़ी रोटी के वे सुलझायें क्यों |
हमदर्दी के सिवा कुछ कर सके है कौन |
किसी को जख्म अपने दिखलायें क्यों |
जंजीरों को जेवर समझ के खुश हैं लोग |
हकीकत मुश्किल हो तो समझाएं क्यों |
इनसे बेहतर होगा इनका बनाने वाला |
इन सूरतों से फ़िर दिल को बहलायें क्यों |
देखा तो नहीं किसी को लौट कर आते |
ये तय हो तो फ़िर मौत से घबराएं क्यों |
ठीक रस्ते पर ये दुनिया चल रही हो |
तो फ़िर नसीहतें मिसिर फरमाएं क्यों |
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