| कुछ इस तरह से जमाने ने मिटाया है |
| ढूँढता फिरता मुझको मेरा ही साया है |
| कभी हँसे हैं लोग कभी तंज भी कसे हैं |
| हमने बारहा जमाने पे तरस खाया है |
| खुद में होते तो फिक्र अपनी भी करते |
| वक्त ने मुझको मेरे पास नहीं पाया है |
| तुम आखिर क्यों इसका हिसाब करो |
| मैंने भला क्या खोया और क्या पाया है |
| न मानो तो किताबें खोल कर पढ़ लो |
| अपने खुदा को तुम्ही ने तो बनाया है |
eah behad umdaa !!
ReplyDeletewah behad umdaa !!
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