| बिगड़ी हुई तबीयत कभी यूँ भी संभलती है |
| रात गए महफ़िल में ज्यूँ शम्आ मचलती है |
| जीता भी है तो कैसे तू जिससे खफा हो बैठे |
| आँख ही खुलती है बस सांस ही चलती है |
| तक़दीर यहाँ सबकी हम जैसी नहीं होती |
| किस्मत भी किसी के दरवाजे पे तरसती है |
| जी भर नींद की फुर्सत नसीब किसे यहाँ |
| इस दुनिया में तो बस आँख भर झपकती है |
| खिरदमंदों ने हर पर्दा वा करने की ठानी है |
| देखें किस तरह रुख से निकाब सरकती है |
वाह!!! बहुत खूब
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