Thursday, July 5, 2012

एक सिर्फ हमीं में जरूर कुछ बुराई है

और तो सब से उनकी शनासाई है

हमें क्या पड़ी जो कहते फिरें सबसे

कैसे कैसों की उनके यहाँ रसाई है

न वो जमाना रहा न रिवाजें लेकिन

मुहब्बत में आज भी बड़ी रुसवाई है

बड़े अंदाज से चलते हुए आये थे वो

पूछते थे कि आग किसने लगाईं है

2 comments:

  1. वाह....
    लाजवाब गज़ल....
    आपकी लेखनी की कायल हो गयी हूँ...

    सादर
    अनु

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