कुर्सी पर उठते हैं लोग
नज़रों में गिरते हैं लोग
शायद कहीं जीते भी होंगे
यहाँ सिर्फ़ मरते हैं लोग
नहीं सिमटते दीवारों मे
दिल में भी रहतें हैं लोग
किस दुनिया में रहते होंगे
जिन्हे प्यार करते हैं लोग
ख्वाबों मे आते हैं लोग
मगर जान लेते हैं लोग
माने ना जाने सब कोई
इश्क बुरा होता है रोग
उनकी न सुनियो अपनी
कहाँ तुम कहाँ सब लोग
तू तो अरे खुदा होता था
तुझसे क्यों डरते हैं लोग
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