Saturday, February 27, 2010

लोग चले भी गये मना के ईद
हमे इन्तिज़ार ही रहा चाँद का
रात रात भर अटारी से बेशरम
चाँद चेहरा तके है मेरे चाँद का
अँधेरी रात है आज तो होता
अब भरोसा रहा नहीं चाँद का
अभी बाहों में छुपेगा देखना
कैसे रंग बदलता है चाँद का
इश्क की पाक नज़र की कसम
हमने देखा नहीं दाग़ चाँद का

No comments:

Post a Comment