Tuesday, February 23, 2010

बनेगी उनसे अब किसी सूरतेहाल नहीं
हम हर हाल राज़ी वो किसी हाल नहीं
बात करते हो चाँद की उनके मुकाबिल
ठहर सके कहीं आईना भी मजाल नहीं
होली की मस्तियों से है उनका ये रंग
मला किसी ने रुखसार पे गुलाल नहीं
बरबाद है जमाना उनकी बेखयाली से
इस बात का उन्हे ज़रा भी खयाल नहीं
होना सभी को एक दिन खाके राह है
नाचीज़ होने का मुझे ज़रा मलाल नहीं
मीर गालिब जिगर फ़िराक को पी गया
लिख पाता हूँ कुछ तो कोई कमाल नहीं

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