Thursday, September 1, 2011

दवाओं से न बन पड़े तो दुआ करे कोई
दुआओं का मारा हो तो क्या करे कोई
दो चार ही हों तो रास्ता दिखाये कोई
भटके हुये काफ़िले का क्या करे कोई
अँधेरा बहुत हो तो सूरज उतार लायें
बन्द खिड़कियों का क्या करे कोई
हरेक ख़्वाब हकीकत हो जाये अगर  
फ़िर किस उम्मीद पे जिया करे कोई

1 comment:

  1. दवाओं से न बन पड़े तो दुआ करे कोई
    दुआओं का मारा हो तो क्या करे कोई

    vaah!

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