दवाओं से न बन पड़े तो दुआ करे कोई |
दुआओं का मारा हो तो क्या करे कोई |
दो चार ही हों तो रास्ता दिखाये कोई |
भटके हुये काफ़िले का क्या करे कोई |
अँधेरा बहुत हो तो सूरज उतार लायें |
बन्द खिड़कियों का क्या करे कोई |
हरेक ख़्वाब हकीकत हो जाये अगर |
फ़िर किस उम्मीद पे जिया करे कोई |
दवाओं से न बन पड़े तो दुआ करे कोई
ReplyDeleteदुआओं का मारा हो तो क्या करे कोई
vaah!