बिगड़ी हुई तबीयत कभी यूँ भी संभलती है |
रात गए महफ़िल में ज्यूँ शम्आ मचलती है |
जीता भी है तो कैसे तू जिससे खफा हो बैठे |
आँख ही खुलती है बस सांस ही चलती है |
तक़दीर यहाँ सबकी हम जैसी नहीं होती |
किस्मत भी किसी के दरवाजे पे तरसती है |
जी भर नींद की फुर्सत नसीब किसे यहाँ |
इस दुनिया में तो बस आँख भर झपकती है |
खिरदमंदों ने हर पर्दा वा करने की ठानी है |
देखें किस तरह रुख से निकाब सरकती है |