भगवान मीर,
चचा ग़ालिब,
मियाँ दाग,
अंकल फ़िराक,
दादा फ़ैज़,
मस्त जिगर,
भइया मजाज़
..और भी तमाम हैं जो जिम्मेदार हैं कुछ अच्छा बन पड़ा हो तो !
Sunday, February 28, 2010
हजार बार बच के गुजर गये जिस जगह न बचने का जी हुआ सो अब के गिर पड़े मतलब तो खैर हमको आरामतलबी से था सब जा रहे थे देखा तो हम भी चल पड़े आह ये सुर्खरू ये ज़िन्दगी से भरे भरे बदन चाहते तो हैं भले न इनसे छूटते बन पड़े
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