सुबह की शाम हर शब की सहर होती है |
ये हकीकत तो हमपे रोज जबर होती है |
हर वक्त आने वाले पल का इन्तिज़ार |
जिन्दगी अपनी बस यूँही बसर होती है |
नहीं बच पाता है बीमार इश्क में कोई |
जब तक कि चारागर को खबर होती है |
आँखों में ही कटती है हमारे घर में रात |
उनके यहाँ तो पल भर में सहर होती है |
यहाँ जिन्दगी जब भी रहगुज़र होती है |
एक बस मौत ही तो हमसफर होती है |
बहुत सार्थक रचना| धन्यवाद|
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