वो मुझको बहुत भाता रहा
ये बात मैं खुदसे छुपाता रहा
मैं होता रहा कत्ल सरेआम
वो सर झुकाये शर्माता रहा
अब वो गालियाँ भी नहीं देते
पीने का तो मजा जाता रहा
इसे ज़िंदगी कहो तो कहो
सांस भर आता जाता रहा
ये बात मैं खुदसे छुपाता रहा
मैं होता रहा कत्ल सरेआम
वो सर झुकाये शर्माता रहा
अब वो गालियाँ भी नहीं देते
पीने का तो मजा जाता रहा
इसे ज़िंदगी कहो तो कहो
सांस भर आता जाता रहा
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