न देखा न बोले हमसे न मुस्कराए न सलाम किया
रात महफ़िल में उनने सब जाहिर सरेआम किया
जिस्मे बला नाजुक लब वो निगाहें वो अंदाजो अदा
सारे फितने उसके थे और मुफ्त हमें बदनाम किया
कैसे कैसे किस्मत वाले उन की बज्म में पहुंचे होंगे
हमने तो दरवाजे पर ही सारा वक्त तमाम किया
अक्सर हमने उठ उठ कर सोचा सबके साथ चलें
दिल ने ऐसी कोशिश को हरदम ही नाकाम किया
अमन चैन तो बाते हैं दुनिया को फितने ही भाते हैं
तैमूर ओ चंगेजों ने अपना यूँही तो नहीं नाम किया
रात महफ़िल में उनने सब जाहिर सरेआम किया
जिस्मे बला नाजुक लब वो निगाहें वो अंदाजो अदा
सारे फितने उसके थे और मुफ्त हमें बदनाम किया
कैसे कैसे किस्मत वाले उन की बज्म में पहुंचे होंगे
हमने तो दरवाजे पर ही सारा वक्त तमाम किया
अक्सर हमने उठ उठ कर सोचा सबके साथ चलें
दिल ने ऐसी कोशिश को हरदम ही नाकाम किया
अमन चैन तो बाते हैं दुनिया को फितने ही भाते हैं
तैमूर ओ चंगेजों ने अपना यूँही तो नहीं नाम किया
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