ऐसे भी लोग थे जो रास्ते पर बैठ के पहुँच गए |
वरना सड़कों पर दौड़ते तो रहे बहुत से लोग |
तारीख जब भी करवट ले रही थी इतिहास में |
इंकलाबियों को कोसते तो रहे बहुत से लोग |
बावजूद तकलीफों के लोग कहाँ पहुँच गए |
परेशानियों को सोचते तो रहे बहुत से लोग |
अपने जैसे ही कुछ नाम किताबों में दर्ज हैं |
माथे से लगाकर पूजते तो रहे बहुत से लोग |
क्या बात है ! बेहद खूबसूरत रचना....
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