भगवान मीर,
चचा ग़ालिब,
मियाँ दाग,
अंकल फ़िराक,
दादा फ़ैज़,
मस्त जिगर,
भइया मजाज़
..और भी तमाम हैं जो जिम्मेदार हैं कुछ अच्छा बन पड़ा हो तो !
Wednesday, April 28, 2010
बड़ी देर से सब हमको समझा रहे हैं बुरी बात है फ़िर भी किये जा रहे हैं पता है कि गलत राह है मगर हम दोस्तों के साथ को चले जा रहे हैं फ़िर पे टाला है फ़िर एक बार उनने वो हमें और हम नसीब आज़मा रहे हैं
बहुत खूब, लाजबाब !
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