आँखों में समाकर दिल में उतर गए |
नाम पे मेरे जो महफ़िल में मुकर गए |
उनके आने तक तो हम होश में ही थे |
न जाने वो फ़िर कब और किधर गए |
पूछा किये उनसे अपना पता अक्सर |
फ़िर लेकर उन्ही से अपनी खबर गए |
इन्ही आँखों ने उनको जाते हुये देखा |
ऐसे भी कुछ हादिसे हम पे गुजर गए |
बागबाँ से लड़ के गुलशन से अब हम |
इसी शाम निकले नहीं तो सहर गए |
पूछा किये उनसे अपना पता अक्सर
ReplyDeleteफ़िर लेकर उन्ही से अपनी खबर गए
वाह बहुत खूब ....बहुत खूबसूरती से भावों को उकेरा है आपने .......! आपका आभार